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Showing posts from November, 2021

तमन्ना भी है तुम्हारी और तुमको बता भी नहीं सकते......

  तमन्ना भी है तुम्हारी और तुमको बता भी नहीं सकते बहुत प्यार करते है तुमसे और तुमको पा भी नहीं सकते   यूँ अँधेरी रातों से पूछो क्या क्या है इस दिल में मेरे दिल का असरार हो तुम और तुमको छुपा भी नहीं सकते   अश्कों से लिखी वो आख़िरी ख़त भी हमने जला डाली उसमें क्या क्या लिखा था हम तुमको बता भी नहीं सकते   मोहब्बत में क्या क्या गुज़री है इस दिल पर सनम इस दिल पे पड़े छालों को हम तुमको दिखा भी नहीं सकते   इक तमन्ना थी कि तुमको इन हाथों से हम सजाया करेंगे हाथों में गजरा है ‘सुब्रत’ और तुमको सजा भी नहीं सकते..... ~©अनुज सुब्रत