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Showing posts from December, 2021

जिससे करता था मैं मुहब्बत सनम......

  जिससे करता था मैं मुहब्बत सनम निकली वो बेवफ़ा बे - मुरव्वत सनम   ये सुरमा ये निगाहें ये संदली बदन फ़क़त मुझको है उससे अदावत सनम   याद आता है तेरी गलियों का सफ़र तुम क़यामत सनम तुम क़यामत सनम   तुम तो दिल लुभा कर चली जाओगी मरता है तो मरे कोई ‘सुब्रत’ सनम...... ~© अनुज सुब्रत