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Showing posts from June, 2021

हम जो तुम पे माइल है तुम हो कि नही....

हम जो तुम पे माइल है तुम हो कि नही तुम हो वरक़ - ए - दिल है तुम हो कि नही   वाइज - ए - नादाँ से परेशाँ है हम तेरे लिए ये दिल तेरा क़ाइल है तुम हो कि नही   चाँद आँचल है तेरा अम्बर में रहती हो कहते है हूर - शमाइल है तुम हो कि नही   पहलू में तुमको छुपा लूँ असरार में भी मगर हम तो क़ाबिल है तुम हो कि नही   है हम भी हैरान दस्तूर - ए -जहां  से ‘सुब्रत’ चार - सू चश्म - ए - क़ातिल है तुम हो कि नही..... ~©अनुज सुब्रत शब्दार्थ:- माइल :- Bent, attracted वरक़-ए-दिल :- दिल का पन्ना  वाइज-ए-नादाँ :- नादान उपदेशक हूर-शमाइल :- अप्सरा जैसी गुणों की मालिक, अत्यधिक सुंदर असरार :- राज , भेद  चार-सू :- चारों ओर चश्म-ए-क़ातिल :- क़ातिल की निगाह

दिल-ए-वीराँ ज़ुल्फ़-ए-बरहम-ए-महबूब से शादाब होता है....

    दिल - ए - वीराँ ज़ुल्फ़ - ए - बरहम - ए - महबूब से शादाब होता है दिल - ए - दाग़ - दार उसके तबस्सुम - ए - लब से बर्बाद होता है   पहले चश्म से चश्म मिलते है फिर इश्क़ पनाह लेता है फिर इंतहा होती है जब इंतहा होती है तब फ़साद होता है   यह मुजरिमाना सलूक क्यूँ क्या आशनाई कोई ख़ता है ज़ुल्फ़ - ए - गिरह - गीर वाली तुझसे दिल - ए - मुज़्तर शाद होता है   ज़ाफ़रानी खुशबू वाली कुछ तो पूछ अहवाल ‘सुब्रत’ का शमीम - ए - ज़ुल्फ़ में खोने से किश्त - ए - दिल आबाद होता है...... ~©अनुज सुब्रत शब्दार्थ:- दिल-ए-वीराँ :- वीरान दिल ज़ुल्फ़-ए-बरहम-ए-महबूब :- महबूब के बिखरे बाल शादाब :- हरा-भरा दिल-ए-दाग़-दार :- दाग़दार दिल तबस्सुम-ए-लब :-  होंठ की मधुर मुस्कान चश्म :- आँख मुजरिमाना :- अपराधिओं जैसा आशनाई :- प्रेम ज़ुल्फ़-ए-गिरह-गीर :- घुँघराले बाल दिल-ए-मुज़्तर :- बेचैन दिल शाद :- खुश, प्रसन्न ज़ाफ़रानी खुशबू :- केसर की खुशबू अहवाल :- हाल शमीम-ए-ज़ुल्फ़ :- ज़ुल्फ़ की खुशबू किश्त-ए-दिल :- दिल की खेती दिल-ए-वीराँ ज़ुल्फ़-ए-बरहम-ए-महबूब से शादाब होता है....Written by Anuj Subrat ( Author of "Teri gali mein&quo

आँखों के दरिया का गालों पे आना....

  आँखों के दरिया का गालों पे आना तेरा फिर से उन्हीं सवालों पे आना   है कैसा मुक़द्दर है कैसी जुदाई मेरा फिर से उन्हीं मलालों पे आना   यादों से काटी है रातें कितनी हमने उन बातों का दिल के छालों पे आना   वो मीठा सा लहजा वो तेरा जमाल मेरा फिर से उन्हीं ख़्यालों पे आना   ‘सुब्रत’ जो वो देखें छत से ये चाँद मेरा अंधेरों से उन्हीं उजालों पे आना.... ~©अनुज सुब्रत शब्दार्थ:- जमाल :- खूबसूरती, सुंदरता आँखों के दरिया का गालों पे आना.....Written by Anuj Subrat ( Author of "Teri gali mein" ) Follow me on Instagram https://instagram.com/anuj_subrat Read my Book Teri gali mein Teri gali me / तेरी गली में: कविता संग्रह https://www.amazon.in/dp/1647834457/ref=cm_sw_r_wa_apa_i_RSLuFbTF0C9XQ Thank you