दिल-ए-वीराँ ज़ुल्फ़-ए-बरहम-ए-महबूब से शादाब होता है
दिल-ए-दाग़-दार उसके तबस्सुम-ए-लब से बर्बाद होता है
पहले चश्म से चश्म मिलते है फिर इश्क़ पनाह लेता है
फिर इंतहा होती है जब इंतहा होती है तब फ़साद होता है
यह मुजरिमाना सलूक क्यूँ क्या आशनाई कोई ख़ता है
ज़ुल्फ़-ए-गिरह-गीर वाली तुझसे दिल-ए-मुज़्तर शाद होता है
ज़ाफ़रानी खुशबू वाली कुछ तो पूछ अहवाल ‘सुब्रत’ का
शमीम-ए-ज़ुल्फ़ में खोने से किश्त-ए-दिल आबाद होता है......
~©अनुज सुब्रत
शब्दार्थ:-
दिल-ए-वीराँ :- वीरान दिल
ज़ुल्फ़-ए-बरहम-ए-महबूब :- महबूब के बिखरे बाल
शादाब :- हरा-भरा
दिल-ए-दाग़-दार :- दाग़दार दिल
तबस्सुम-ए-लब :- होंठ की मधुर मुस्कान
चश्म :- आँख
मुजरिमाना :- अपराधिओं जैसा
आशनाई :- प्रेम
ज़ुल्फ़-ए-गिरह-गीर :- घुँघराले बाल
दिल-ए-मुज़्तर :- बेचैन दिल
शाद :- खुश, प्रसन्न
ज़ाफ़रानी खुशबू :- केसर की खुशबू
अहवाल :- हाल
शमीम-ए-ज़ुल्फ़ :- ज़ुल्फ़ की खुशबू
किश्त-ए-दिल :- दिल की खेती
दिल-ए-वीराँ ज़ुल्फ़-ए-बरहम-ए-महबूब से शादाब होता है....Written by Anuj Subrat ( Author of "Teri gali mein" )
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