हया की शोखियाँ, सुब्हानअल्लाह हम क्या कहें
अंदाज़ आपका, बयाँ न हो पायें हम क्या कहें
नशीली आँखें और ये माथे का तिल आपका
ऊपर से ये चेहरा आपका गुलाब हम क्या कहें
ज़ुल्फों की मस्तियाँ, चेहरे पर आना इसका
कान पर उँगलियों का जाना, वाह! हम क्या कहें
अस्तग फ़िरुल्लाह, अस्तग फ़िरुल्लाह, पर्दा किया
जो हुस्न से आपके, गलती हुई हमसे हम क्या कहें
वादाखिलाफी माफ करें मिरि, किसी और से करें बात
जब आप तब जी ही जी में हम जले तो हम क्या कहें
तदबीरें लगाई बहुत हमने “सुब्रत” इश्क़ को पाने की
पर इश्क़ हो अगर तन्हाई के ज़द में तो हम क्या कहें.....
~अनुज सुब्रत
हया की शोखियाँ, सुब्हानअल्लाह हम क्या कहें.......Written by Anuj Subrat ( Author of " Teri gali mein " )
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