जब भी सर्दी आती है
तेरी याद मुझे बड़ा तड़पाती है
जानाँ तुमको मालूम नही शायद
अक्सर ये सर्द हवा मुझको रुलाती है
तुमको याद है क्या वो बातें हमारी
यही बात मुझको हमदम सताती है
यह लम्बी रातें, यह छोटे दिन
मायूसी मुझको मार जाती है
खिड़की से जब भी चाँदनी अंदर
आती है, मुझको रात भर जगाती है
क्या बतलाऊँ जानाँ तुमको मैं,
शामें मुझको अक्सर तन्हा कर जाती है
माना दफ़न हुआ ‘सुब्रत’ इक ख़ामोशी में
रूह को अब भी तेरी याद बड़ा तड़पाती है....
~©अनुज सुब्रत
जानाँ तुमको मालूम नही शायद....... Written by Anuj Subrat ( Author of "Teri gali mein" )
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Hope you'll loved it
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