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जब भी सावन आएगा, मैं आऊँगा....

आया है सावन, अब मैं अब्र बन आऊँगा तेरे आँगन को मैं भींगा जाऊँगा.... तुम मना करोगी तो, मैं रुक जाऊँगा पर यह मेरा अंत नही, मैं फिर आऊँगा.... पत्थर को चिन्हित कर जाऊँगा जब भी मैं पत्थर से तकराऊँगा.... मैं अठरह वर्ष का तुम सतरह वर्ष की तुझमें एक असर बन मैं रह जाऊँगा.... मैं हर इक दिन को रात बनाऊँगा जब भी तुमको ख्वाबो में अपने पाऊँगा.... जब भी सावन आएगा, मैं आऊँगा सूरज के भाँति, तुमको न मैं पाऊँगा.... फूलों पर बूंदें , झूलो पर बूंदें जब भी तोड़ोगे, मैं नीचे गिर जाऊँगा.... जब भी तेरे गेसुओं से तकराऊँगा मैं खुशबू बन उड़ जाऊँगा.... ~ Anuj Subrat अब्र-- बादल गेसुयों-- जुल्फों

क्यों रूठा है तू मुझसे...क्या मैं तेरा श्याम नही...

Watch here क्यूँ रूठा है तू मुझसे.... क्या मैं तेरा श्याम नही... Is written by Anuj Subrat And taken from his book "तेरी गली में" Please watch whole video and enjoy it.. . You can follow me on other platform or also read my book Links are given below Follow me on my blog https://www.horrifieddramapoetlove.blogspot.com Follow me on Instagrama as @anuj_subrat Follow my FB page Anuj Subrat Take a look at Anuj Subrat (@AnujSubrat): https://twitter.com/AnujSubrat?s=09 Follow me on Pratilipi.Com https://hindi.pratilipi.com/user/अनुज-सुब्रत-4c520686fe?utm_campaign=Shared&utm_source=Link Follow me on Amarujala https://www.amarujala.com/user/5d7bb0e6bac380486a1f9b38 Follow me on Nojoto https://nojoto.com/portfolio/a4014adf2b378f9da682809f726a3c7c Follow my thoughts on the YourQuote app at https://www.yourquote.in/anujsubrat Read my book "तेरी गली में" Amazon Teri gali me / तेरी गली में: कविता संग्रह https://www.amazon.in/dp/1647834457/ref=cm_sw_r_wa

सबको सब कुछ मिला.....

सबको सब कुछ मिला हमको कुछ नही मिला.... खुदा भी अमीरों का निकला फकीरो को कुछ नही मिला..... वालदा, जानाँ को छीन लिया अश्को के बदले लहूँ मिला.... वो क्या कहर ढहायेगा  अपनो से मुझको क़हर मिला.... लिखने को जहाँ बंदिशे मिली कलम को वहाँ कुछ नही मिला.... पत्थर था, ज़ुस्तज़ू की मैंने मगर उसका दिल नही मिला.... उसकी यादों का शज़र मिला पत्तों से मुझको शुकून मिला.... तुम जा रहे हो वहाँ, तो कह देना,  ‘सुब्रत’ को यहाँ कुछ नही मिला...... ~Anuj Subrat Written by Anuj Subrat Follow me on Instagram as @anuj_subrat

अल्लाह उसका किधर है......

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छोड़ तू ये जहां क्या है.....

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दिल के करार का बस इंतज़ार है.....

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पिता.... Father's Day Special

एक दिन भरी महफ़िल , से पुछा मैंने  पिता की ऐहमियत , जानता है कोई तो  भरी महफ़िल से  आवाज आई  हाँ जानता हूँ मैं  हाँ जानता हूँ मैं , इसी पर एक छोटी-सी  कहानी शुरु होती है  पिता के प्रति बच्चों एक  मुँह-जुबानी शुरु होती है.....  माँ जब नानी के घर , चली जाती थी तो  पिता ही रोटियाँ बना के  हमे खिलाते थे  जब माँ की याद, आती थी तो  पिता ही पल-भर में  माँ बन जाते थे।  यूँ पिता के साथ एक अज़ीब -सा  रिश्ता था  पल-भर में दोस्त, तो  पल-भर में फ़रिश्ता थे ..... पिता न होते तो  शायद ये जग सुना था  कैसे बताऊँ, पिता की बाते  पिता के बिना ये घर भी  सुना-सुना था।  कभी कंधे पे बैठा  यूँ मुस्कुराते थे  कैसे बताऊँ  इसी बात पे तो पिता  हम सबको भाते थे....   कुल्फी के ठेले पे  बैठा हमे  यूँ कुल्फियाँ हमे दिलाते थे  इसी बात पे तो पिता  हम सबको बहुत भाते थे....   शायद ये जो कुछ भी  लिख रहा हूँ मै  उनकी ही बदौलत है  आज फ़िर भरी महफ़िल में  उनसे मिलने की दिलायत है....   यूँ तो ना कहना, पर  पिता के लिए लफ्ज़ ना है मेरे  पास में  पर वह तो बसे है  मेरे दिल और साँस में..... बस इतनी-सी बात पे  अपने लफ्ज़ो को विराम देता हूँ