ऐ दिल अब तू ही बता क्या करें हम मर जाए या फिर से वफ़ा करें हम इक परी दिखी हैं हिजाब में मेरे हमदर्द चलो ऐ दिल फिर से कोई ख़ता करें हम मुब्तिला है आजमाइश - ए - इश्क़ से तुम्ही कहो क्या दवा क्या दुआ करें हम इतनी पिला दो कि सारे गम भूल जाऊँ आज तमन्ना है कि खुद को तबाह करें हम इक ख़लिश है इस दिल की खिलवतों में लम्हा - ए - पुर - सुकून में सबकुछ फ़ना करें हम न मुझ पे इतनी अज़ीयत कर न अज़ाब दे कब तलक आतिश - ए - इश्क़ में जला करें हम इश्क़ भी तेरा मैं भी तेरा ऐ मेरे मौला दिलबर की चौखट पर सजदा करें हम.... ~©अनुज सुब्रत शब्दार्थ:- मुब्तिला :- पीड़ित होना , संकट में फँसना ख़लिश :- कसक, पीड़ा खिलवत :- एकांत स्थान लम्हा-ए-पुर-सुकून :- सुकून से भरा पल अज़ीयत :- ज़ुल्म करना , Torture अज़ाब :- यातना ऐ दिल अब तू ही बता क्या करें हम....... Written by Anuj Subrat ( Author of "Teri gali mein" ) Follow me on Instagram https://instagram.com/anuj_subrat Read my Book Teri gali mein Teri gali me / तेरी गली में: कविता संग्रह https://www.amazo
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