तू मुझको दर्द दे और न दवा दे
तू मुझको छोड़ जाने की न सज़ा दे
कमज़र्फ हूँ कौन उल्फ़त देगा मुझको
बिन तेरे जीने की न मुझको बददुआ दे
कौन है मेरा सिवायें तेरे ओ दीवानी
तू मुझको गुलिस्ताँ से न राब्ता दे
ब्याह कर तू रुखसत हो जाएगी सुबह
तू मुझको इस रात न कोई अहद-ए-वफ़ा दे
वह रौशन कर के गई है इन चराग़ों को
ऐ हवा संभल के, कहीं तू इनको न बुझा दे
आई है ख़बर उसके लौट आने की किसी और
की हो कर, आँखें तू न आँसुओं को रवाँ दे
अलमारी में रखी है उसकी यादें संभाल के
ऐ वक़्त तू मुझको फिर से वो वक़्त लौटा दे....
~©अनुज सुब्रत
तू मुझको दर्द दे और न दवा दे..... Written by Anuj Subrat ( Author of "Teri gali mein" )
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