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Showing posts from August, 2020

ये जो तुम सबको अपना कर बैठे हो...

  ये  जो  तुम  सबको  अपना  कर  बैठे  हो तुमको  मालूम  नही  तुम  बहुत  बुरा  कर  बैठे  हो इश्क़ को जो तुम अभी ज़न्नत बयाँ कर रहे हो तुमको मालूम नही, तुम दर्द को कल का हमनवा कर बैठे हो दूरियों की ज़ुस्तज़ू में तुम, सब कुछ  भुला कर बैठे हो तुमको मालूम नही तुम नजदीकियों को दफ़ना कर बैठे हो नफ़स नफ़स में हमनफस तुम हो तुम्हारी यादें है हमको मालूम नही तुम यादों से चरागे हयात जला कर बैठे हों  ता-उम्र जिसकी रंज-ओ-परेशानियाँ का सबब रहे तुम ‘सुब्रत’ इक अरसा बीत गया अब क्यूँ तुम उसकी कब्र सजा कर बैठे हो ~©अनुज सुब्रत ये जो तुम सबको अपना कर बैठे हो.... Written by Anuj Subrat (Author of "Teri gali mein" )   हमनवा :- साथी  नफ़स :- साँस  हमनफस :- जो आपके साथ साँस ले  चरागे हयात :- ज़िंदगी का दीया  इक अरसा :- लम्बा समय  ता-उम्र :- पूरी उम्र  रंज-और-परेशानियाँ :- दुःख और परेशानियाँ  सबब :- कारण       There is  my First book.... If you want then. Please  read and  Share my book 'Teri gali mein' Teri gali me / तेरी गली में: कविता संग्रह  https://www.amazon.in/dp/1647834457/ref=cm_sw_r_wa_apa_i_LL

खुद ही हैरान तुझे क्या बताऊँ जिंदगी....

ये जो कुछ भी है सब सच नही है ये जो दर्द है ये तो कुछ नही है ये नया मक़ाम है ये नई जिंदगी है ऐसा तो नही है कि वहाँ कुछ नही है खुद ही हैरान तुझे क्या बताऊँ ज़िंदगी ऐसा तो नही है कि वास्ता कुछ नही है हुआ जो दफ़न सुब्रत तुम आये भी नही ऐसा तो नही है कि रिश्ता कुछ नही है.... ~©अनुज सुब्रत Written by Anuj Subrat (Author of Teri gali Mein)

आरज़ू को कही ज़रा दफ़ना के चलो.....

Written by Anuj Subrat Follow me on my instagram account https://instagram.com/anuj_subrat https://facebook.com/Anuj Subrat Anuj Subrat

मिलने को हर शाम वह लिखती....

वह चिट्ठी पर पैगाम यह लिखती मिलने को हर शाम वह लिखती मिलने पर खामोश वह रहती पैंग़ामों में शब्दों का जाम वह लिखती कुछ कहती, पर होंठों से कोई शब्द नही बहकी बहकी-सी हर शाम वह लिखती सच कहूँ तो मीरा-सी दीवानी थी झुठ कहूँ तो मुझको श्याम वह लिखती मुझको देखो, उसको मुझमें पाओगे मुझको ही अपना अंजाम वह लिखती ~ अनुज सुब्रत Written by Anuj Subrat Follow me on Instagram as @anuj_subrat