ये जो कुछ भी है सब सच नही है
ये जो दर्द है ये तो कुछ नही है
ये नया मक़ाम है ये नई जिंदगी है
ऐसा तो नही है कि वहाँ कुछ नही है
खुद ही हैरान तुझे क्या बताऊँ ज़िंदगी
ऐसा तो नही है कि वास्ता कुछ नही है
हुआ जो दफ़न सुब्रत तुम आये भी नही
ऐसा तो नही है कि रिश्ता कुछ नही है....
~©अनुज सुब्रत
Written by Anuj Subrat (Author of Teri gali Mein)
Comments
Post a Comment