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Showing posts from October, 2020

लाज़मी है ये दूरियाँ यही फ़साना है....

  नई खामोशी है इक नया फ़साना है इक दीवानी हैं ‘सुब्रत’ इक दीवाना है इश्क़ की खूबसूरती तो देखिये, ज़रा इक तिल से शुरु ये पूरा फ़साना है इक मीरा जोगन थी इक मैं जोगी, तेरा जोगी, बस तुझमें डूब जाना है तू चौदहवीं की रात है मैं हूँ चकोर  लाज़मी है ये दूरियाँ यही फ़साना है ऐसे तो परवाह नही किसी को मेरी पर जहाँ इश्क़ है वहीं ज़ालिम ज़माना है इक अजीब बेकरारी थी अजीब बेकरारी है न कल दिल ने माना था न आज माना है जिसने भी पूछा सबसे इनकार किया सुब्रत नाही कोई फ़साना था नाही कोई फ़साना है….. ~ अनुज सुब्रत लाज़मी है ये दूरियाँ यही फ़साना है .......Written by Anuj Subrat ( Author of " Teri gali mein " ) Follow me on Instagram https://instagram.com/anuj_subrat Read my Book Teri gali mein Teri gali me / तेरी गली में: कविता संग्रह https://www.amazon.in/dp/1647834457/ref=cm_sw_r_wa_apa_i_RSLuFbTF0C9XQ Thank you

हया की शोखियाँ, सुब्हानअल्लाह हम क्या कहें....

हया की शोखियाँ, सुब्हानअल्लाह हम क्या कहें अंदाज़ आपका, बयाँ न हो पायें हम क्या कहें नशीली आँखें  और ये माथे का तिल आपका ऊपर से ये चेहरा आपका गुलाब हम क्या कहें ज़ुल्फों की मस्तियाँ, चेहरे पर आना इसका कान पर उँगलियों का जाना, वाह! हम क्या कहें अस्तग फ़िरुल्लाह, अस्तग फ़िरुल्लाह, पर्दा किया जो हुस्न से आपके, गलती हुई हमसे हम क्या कहें वादाखिलाफी माफ करें मिरि, किसी और से करें बात जब आप तब जी ही जी में हम जले तो हम क्या कहें  तदबीरें लगाई बहुत हमने “सुब्रत” इश्क़ को पाने की पर इश्क़ हो अगर तन्हाई के ज़द में तो हम क्या कहें..... ~अनुज सुब्रत हया की शोखियाँ, सुब्हानअल्लाह हम क्या कहें .......Written by Anuj Subrat ( Author of " Teri gali mein " ) Follow me on Instagram https://instagram.com/anuj_subrat Read my Book Teri gali mein Teri gali me / तेरी गली में: कविता संग्रह https://www.amazon.in/dp/1647834457/ref=cm_sw_r_wa_apa_i_RSLuFbTF0C9XQ Thank you

ज़ालिम ने ऐसा कर दिया......

  मेरे  हम-नफ़स ने  मेरी  ज़िंदगी का सौदा  कर दिया मैं  सँभला  ही  था  कि  ज़ालिम ने ऐसा  कर दिया बड़ा  अजीब  था  वह  अजीब  थी  उसकी  दुश्मनी  मुझको तबाह करने से पहले खुद को तबाह कर लिया सोचा  कि  जिसके  सायें में  मैं महफ़ूज़ रहूँगा हमेशा क्या सितम गुज़रा होगा जब उसने किनारा  कर लिया जो  ज़ुल्मी  थे जो  हवसी  थे, धर्म वालो  ने  उनको बूत-कदे में  बैठाया  सियासतदानों  ने खुदा  कर दिया रात  भर  जाग  कर  अरदास  करता  रहा  मंदिर में सुबह  हुई और ज़ालिम ने मुझको उससे जुदा कर दिया पीठ  पर  खंजर  था  मैं  तलाश  रहा था दुश्मनों को अपने  यार मिले  मैं समझ गया किसने दगा कर दिया सब  इस  दुनिया  में  मेरे  अपने  बनते  थे  “सुब्रत” आई जो  मुसीबत,  पूछा न हाल, सब ने पर्दा कर लिया..... ~अनुज सुब्रत ज़ालिम ने ऐसा कर दिया.......Written by Anuj Subrat ( Author of " Teri gali mein " ) Follow me on Instagram https://instagram.com/anuj_subrat Read my Book Teri gali mein Teri gali me / तेरी गली में: कविता संग्रह https://www.amazon.in/dp/1647834457/ref=cm_sw_r_wa_apa_i_RSLuFbTF0C9XQ Thank you

मत शोक मना पतझड़ के पत्तों का.....

  मत शोक मना पतझड़ के पत्तों का.....Anuj Subrat ( Author of "Teri gali mein") फ़र्श से अर्श तक का सफर अभी बाकी है जीवन का अर्थ अभी बाकी है अज्ञ, अनभिज्ञ से कुछ नही तेरे-मेरे अंतर्मन का ज्ञान अभी बाकी है म्यान तेग से घबराना कैसा लहू का कतरा कतरा अभी बाकी है मत शोक मना पतझड़ के पत्तों का बसंत में फूलों का खिलना अभी बाकी है दुख के सागर में नईया है सुख का सागर आना अभी बाकी है नई सुबह है, उमंग नई है चिड़ियों का चहचहाना अभी बाकी है सुस्ती कैसी छाई है सारे भुवन में सपनों के लिए पागलपन अभी बाकी है.... ~ अनुज सुब्रत मत शोक मना  पतझड़ के पत्तों का........Written by Anuj Subrat ( Author of " Teri gali mein " ) Follow me on Instagram https://instagram.com/anuj_subrat Read my Book Teri gali mein Teri gali me / तेरी गली में: कविता संग्रह https://www.amazon.in/dp/1647834457/ref=cm_sw_r_wa_apa_i_RSLuFbTF0C9XQ Thank you