मेरे हम-नफ़स ने मेरी ज़िंदगी का सौदा कर दिया
मैं सँभला ही था कि ज़ालिम ने ऐसा कर दिया
बड़ा अजीब था वह अजीब थी उसकी दुश्मनी
मुझको तबाह करने से पहले खुद को तबाह कर लिया
सोचा कि जिसके सायें में मैं महफ़ूज़ रहूँगा हमेशा
क्या सितम गुज़रा होगा जब उसने किनारा कर लिया
जो ज़ुल्मी थे जो हवसी थे, धर्म वालो ने उनको
बूत-कदे में बैठाया सियासतदानों ने खुदा कर दिया
रात भर जाग कर अरदास करता रहा मंदिर में
सुबह हुई और ज़ालिम ने मुझको उससे जुदा कर दिया
पीठ पर खंजर था मैं तलाश रहा था दुश्मनों को
अपने यार मिले मैं समझ गया किसने दगा कर दिया
सब इस दुनिया में मेरे अपने बनते थे “सुब्रत”
आई जो मुसीबत, पूछा न हाल, सब ने पर्दा कर लिया.....
~अनुज सुब्रत
ज़ालिम ने ऐसा कर दिया.......Written by Anuj Subrat ( Author of " Teri gali mein " )
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