मत शोक मना पतझड़ के पत्तों का.....Anuj Subrat ( Author of "Teri gali mein")
फ़र्श से अर्श तक का सफर अभी बाकी है
जीवन का अर्थ अभी बाकी है
अज्ञ, अनभिज्ञ से कुछ नही
तेरे-मेरे अंतर्मन का ज्ञान अभी बाकी है
म्यान तेग से घबराना कैसा
लहू का कतरा कतरा अभी बाकी है
मत शोक मना पतझड़ के पत्तों का
बसंत में फूलों का खिलना अभी बाकी है
दुख के सागर में नईया है
सुख का सागर आना अभी बाकी है
नई सुबह है, उमंग नई है
चिड़ियों का चहचहाना अभी बाकी है
सुस्ती कैसी छाई है सारे भुवन में
सपनों के लिए पागलपन अभी बाकी है....
~ अनुज सुब्रत
मत शोक मना पतझड़ के पत्तों का........Written by Anuj Subrat ( Author of " Teri gali mein " )
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