इश्क़ में टूटे दिल अब सँभलने लगे है
हम तन्हा ही घर से निकलने लगे है
देख कर काली घटाओं को हम
खुद के ही बाजुओं में मचलने लगे है
देखते है हर वक़्त, हर रात आईना
आईना तेरे लिए ही हम सँवरने लगे है….
~©अनुज सुब्रत
कुछ गज़ल अधूरी ही अच्छी लगती है..... Written by Anuj Subrat (Author of "Teri gali mein")
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Thank you
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