मक़ाम-ए-दिल न मिला तो हम क्या करेंगे
तेरी तस्वीर से ही हम दिल बहलाया करेंगे
उल्फ़त के अफ़साने हज़ार होंगे इस ख़ुदाई में
हज़ारों में हम सिर्फ तेरा हाँ तेरा ही चर्चा करेंगे
हर इक अल्फ़ाज़ को हम यूं तुझपे मोड़ देंगे
जो न मुड़ सके हम कल से उनसे तौबा करेंगे
कि हर इक साल बाद-ए-बहारी आयेगी
तब हम गुलशन में जा गुल से मिला करेंगे
चर्चा हुआ कहीं अगर दिल के ज़र्ब का सुब्रत
तेरे अल्ताफ़ को हम ख़ुदा का बताया करेंगे
इशरत-ओ-दिल का ताल्लुक़ नही अब तो क्या
दिल-ए-नादान तेरे लिए हम फिर से वैसा करेंगे
~अनुज सुब्रत
मक़ाम-ए-दिल न मिला तो हम क्या करेंगे....... Written by Anuj Subrat ( Author of "Teri gali mein ")
बाद-ए-बहारी :- बसंत की हवा
अल्ताफ़ :- मेहरबानियाँ
ज़र्ब :- ज़ख्म
इशरत :- मौज-मस्ती
ख़ुदाई :- ईश्वर की बनाई दुनिया
गुल :- फूल
गुलशन :- बागवान
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