पिया जब देखूँ खुद को दर्पण में
शाम गुजर जाए कोई उलझन में
मैं महक उठूँ, कोई गुल बन के
मैं पाऊँ पिया जब तेरी उतरन में
वक़्त ठहर से जाए है काहे जो
डूबी जोगन पिया के नयनन में
मनवा जाने काहे मचलत जाए
भई प्रीत पिया की हमरे दर्पण में
पिया जी की दीवानी हुई मैं
पिया जी की खुशबू मेरे तन-मन में
हर गाम पर टूटा दिल है ‘सुब्रत’
हुँ पिया मैं इश्क़ में या अड़चन में….
~ अनुज सुब्रत
शाम गुजर जाए कोई उलझन में........Written by Anuj Subrat ( Author of " Teri gali mein " )
गाम :- कदम
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