उसकी डोली मेरे शानों पर रखी है
अंदर वह दुल्हन बन के बैठी है
चाँद तारे भी आये हैं ज़मीं पर उसको देखने
सूरज की भाँति वह जल रही है
आँखों के मोती सारे ज़मीं पर फैले है
हर कदम पर इक कहानी चल रही है
याद कर सारी बातें, वे मिलना मुझसे
इक दुल्हन अंदर ही अंदर रो पड़ी है
गम है उसको बाबुल का घर छोड़ने का
या कहानी उसको हमारी याद आ गई है
आँखों में लहरें है, सैलाब है, लब ख़ामोश है
आतिश-ए-इश्क़ ‘सुब्रत’ अभी तक बुझी नही है
अभी उससे जुदाई पूरी तरह से हुई नही है
और दरवाजे पर दस्तक-ए-तन्हाई आ पड़ी है.....
~©अनुज सुब्रत
हर कदम पर इक कहानी चल रही है....... Written by Anuj Subrat ( Author of "Teri gali mein" )
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