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ऐसे तो मैं ग़ज़ल लिखता हूँ....


 


ऐसे तो मैं ग़ज़ल लिखता हूँ.... is very beautiful poem, written by Anuj Subrat ( Author of "Teri gali mein")... Just watch this video and listen the beauty of this poem and also  try to be lost😅😅 and it'll surely bring in another world....

Hope you'll like it.....

Anuj Subrat own all the copyrights related to this poem and also this Channel, "Horrified drama, poet's love.......

For any inquiries you can contact me any time...
Contact Details  are given in channel driscription....🤗🤗

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हया की शोखियाँ, सुब्हानअल्लाह हम क्या कहें....

हया की शोखियाँ, सुब्हानअल्लाह हम क्या कहें अंदाज़ आपका, बयाँ न हो पायें हम क्या कहें नशीली आँखें  और ये माथे का तिल आपका ऊपर से ये चेहरा आपका गुलाब हम क्या कहें ज़ुल्फों की मस्तियाँ, चेहरे पर आना इसका कान पर उँगलियों का जाना, वाह! हम क्या कहें अस्तग फ़िरुल्लाह, अस्तग फ़िरुल्लाह, पर्दा किया जो हुस्न से आपके, गलती हुई हमसे हम क्या कहें वादाखिलाफी माफ करें मिरि, किसी और से करें बात जब आप तब जी ही जी में हम जले तो हम क्या कहें  तदबीरें लगाई बहुत हमने “सुब्रत” इश्क़ को पाने की पर इश्क़ हो अगर तन्हाई के ज़द में तो हम क्या कहें..... ~अनुज सुब्रत हया की शोखियाँ, सुब्हानअल्लाह हम क्या कहें .......Written by Anuj Subrat ( Author of " Teri gali mein " ) Follow me on Instagram https://instagram.com/anuj_subrat Read my Book Teri gali mein Teri gali me / तेरी गली में: कविता संग्रह https://www.amazon.in/dp/1647834457/ref=cm_sw_r_wa_apa_i_RSLuFbTF0C9XQ Thank you

दिल-ए-वीराँ ज़ुल्फ़-ए-बरहम-ए-महबूब से शादाब होता है....

    दिल - ए - वीराँ ज़ुल्फ़ - ए - बरहम - ए - महबूब से शादाब होता है दिल - ए - दाग़ - दार उसके तबस्सुम - ए - लब से बर्बाद होता है   पहले चश्म से चश्म मिलते है फिर इश्क़ पनाह लेता है फिर इंतहा होती है जब इंतहा होती है तब फ़साद होता है   यह मुजरिमाना सलूक क्यूँ क्या आशनाई कोई ख़ता है ज़ुल्फ़ - ए - गिरह - गीर वाली तुझसे दिल - ए - मुज़्तर शाद होता है   ज़ाफ़रानी खुशबू वाली कुछ तो पूछ अहवाल ‘सुब्रत’ का शमीम - ए - ज़ुल्फ़ में खोने से किश्त - ए - दिल आबाद होता है...... ~©अनुज सुब्रत शब्दार्थ:- दिल-ए-वीराँ :- वीरान दिल ज़ुल्फ़-ए-बरहम-ए-महबूब :- महबूब के बिखरे बाल शादाब :- हरा-भरा दिल-ए-दाग़-दार :- दाग़दार दिल तबस्सुम-ए-लब :-  होंठ की मधुर मुस्कान चश्म :- आँख मुजरिमाना :- अपराधिओं जैसा आशनाई :- प्रेम ज़ुल्फ़-ए-गिरह-गीर :- घुँघराले बाल दिल-ए-मुज़्तर :- बेचैन दिल शाद :- खुश, प्रसन्न ज़ाफ़रानी खुशबू :- केसर की खुशबू अहवाल :- हाल शमीम-ए-ज़ुल्फ़ :- ज़ुल्फ़ की खुशबू किश्त-ए-दिल :- दिल की खेती दिल-ए-वीराँ ज़ुल्फ़-ए-बरहम-ए-महबूब से शादाब होता है....Written by Anuj Subrat ( Author of "Teri gali mein&quo

जानाँ तुमको मालूम नही शायद.......

जब भी सर्दी आती है तेरी याद मुझे बड़ा तड़पाती है जानाँ तुमको मालूम नही शायद अक्सर ये सर्द हवा मुझको रुलाती है तुमको याद है क्या वो बातें हमारी यही बात मुझको हमदम सताती है यह लम्बी रातें, यह छोटे दिन मायूसी मुझको मार जाती है   खिड़की से जब भी चाँदनी अंदर आती है, मुझको रात भर जगाती है क्या बतलाऊँ जानाँ तुमको मैं,  शामें मुझको अक्सर तन्हा कर जाती है माना दफ़न हुआ ‘सुब्रत’ इक ख़ामोशी में रूह को अब भी तेरी याद बड़ा तड़पाती है.... ~©अनुज सुब्रत जानाँ तुमको मालूम नही शायद....... Written by Anuj Subrat ( Author of "Teri gali mein" ) Follow me on Instagram https://instagram.com/anuj_subrat Read my Book Teri gali mein Teri gali me / तेरी गली में: कविता संग्रह https://www.amazon.in/dp/1647834457/ref=cm_sw_r_wa_apa_i_RSLuFbTF0C9XQ Thank you Hope you'll loved it