मेरे महबूब की जुदाई
छीन ले न मुझसे ये ख़ुदाई
मैं हुआ जो तन्हा और तन्हा
होती जा रही है मिरि ये तन्हाई
आशिक़ों के दिल को छलनी
करती जा रही है ये बेवफ़ाई
चाँदनी में है टहलता वह
बदल रहा है इश्क़ में ये हरज़ाई
दिल से है दिल तक का इक रिश्ता
जिस रिश्ते से है मिरि ये रुसवाई
नाहक़ में हुआ हूँ बेगाना मैं ‘सुब्रत’
सामने सबकुछ पर नही देती दिखाई.....
छीन ले न मुझसे ये ख़ुदाई
मैं हुआ जो तन्हा और तन्हा
होती जा रही है मिरि ये तन्हाई
आशिक़ों के दिल को छलनी
करती जा रही है ये बेवफ़ाई
चाँदनी में है टहलता वह
बदल रहा है इश्क़ में ये हरज़ाई
दिल से है दिल तक का इक रिश्ता
जिस रिश्ते से है मिरि ये रुसवाई
नाहक़ में हुआ हूँ बेगाना मैं ‘सुब्रत’
सामने सबकुछ पर नही देती दिखाई.....
~©अनुज सुब्रत
मेरे महबूब की जुदाई...... Written by Anuj Subrat ( Author of "Teri gali mein" )
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Hope you'll loved it
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