तुम जो न मुझको बतलाओगी क्या है मोहब्बत
तब मुझको कैसे होगा मालूम फ़लाँ है मोहब्बत
तब मुझको कैसे होगा मालूम फ़लाँ है मोहब्बत
फ़लाँ ने कही है फ़लाँ से सुनी हैं इक बात मैंने
दर्द को रूह तक लाने वाला रहनुमा है मोहब्बत
उसके अरमानों के महल बिखर गए ज़मीन पर
महलों को गिराने वाला इक जलजला है मोहब्बत
जो कर के हम तड़प गए हम बिखर गए यारों
ढूँढे तो मालूम हुआ यही कोई मसला है मोहब्बत
जान-ए-जाँ से ‘सुब्रत’ हम पूछें क्या पूछें कैसे
इक बात हो मालूम तो बतलाओ क्या है मोहब्बत
~©अनुज सुब्रत
क्या है मोहब्बत...... Written by Anuj Subrat ( Author of "Teri gali mein" )
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