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मन क्यूँ मेरा बाँवरा लगे.....



यादों का शजर हरा लगे

मन क्यूँ मेरा बाँवरा लगे

 

हश्र की रात में मुझको

ज़न्नत सा कोई सहरा लगे

 

शराब सी तेरी आँखें लगे

चाशनी सा तेरा लहज़ा लगे

 

दुआ में तू कोई दुआ लगे

नूरानी सा तेरा चेहरा लगे

 

दो दिल मिले आहिस्ता से

फिर दिल पे कितना पहरा लगे

 

दो पल में सदियों सा लगे

इश्क़ ‘सुब्रत’ कितना गहरा लगे…..


~©अनुज सुब्रत



मन क्यूँ मेरा बाँवरा लगे...... Written by Anuj Subrat ( Author of "Teri gali mein" )



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