तेरे इश्क़ में हम क्या हो गए
कुछ हो न सके तो फ़ना हो गए
कुछ हो न सके तो फ़ना हो गए
बेखुदी का तुम मत पूछो सबब
बेसबब ही तो तुम अलहदा हो गए
बेकरारी मेरा करार ले गई
राख हो कर हम धुआँ हो गए
मेरे तरकश के तीर हो गए खत्म
ज़ख्म सब मेरे रहनुमा हो गए
दर्द-ओ-सितम से रहा वास्ता
मेरे जुर्म जुर्म-ए-वफ़ा हो गए
नवा-ए-दिल घुट रही थी ‘सुब्रत’
ज़िंदगी तुझसे हम क्या हो गए….
~अनुज सुब्रत
शब्दार्थ:-
फ़ना :- बर्बाद
बेसबब :- बिना कोई कारण
बेकरारी :- बेचैनी
करार :- चैन
अलहदा :- जुदा
नवा :- आवाज़
तरकश :- तीर रखने का चोंगा
सितम :- कहर
रहनुमा :- राह दिखाने वाला
तेरे इश्क़ में हम क्या हो गए......Written by Anuj Subrat ( Author of "Teri gali mein" )
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Hope you'll loved it
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