किसी की खिड़की खुली थी कोई बाम पे था
आज फिर मोहब्बत किसी अंजाम पे था
इश्क़ गुनाह था तो हम दोनों ने किया था
मगर वो सारा इल्जाम मेरे नाम पे था
ज़ालिमों ने हम दोनों को अलहदा कर दिया
बात बस उनके कौम के एहतराम पे था
एक मुद्दत बाद क्या मैं उसको याद रहूँगा
बिछड़ते वक़्त यही बात हर गाम पे था
लड़के वालो ने शादी से इनकार कर दिया
सवाल ‘सुब्रत’ लड़की वालो के एहतमाम पे था....
~ अनुज सुब्रत
शब्दार्थ:-
बाम :- छत
अलहदा :- जुदा, अलग
कौम :- जाती
एहतराम :- इज़्ज़त
मुद्दत :- लंबा समय , समय
गाम :- कदम
एहतमाम :- व्यवस्था, प्रबंध
किसी की खिड़की खुली थी कोई बाम पे था.....Written by Anuj Subrat ( Author of "Teri gali mein" )
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