जब तेरे शहर में आए हम |
जब तेरे शहर में आए हम
इश्क़ के दहर में आए हम
मौसम यहाँ का ख़राब न था
कैसे ज़द-ए-लहर में आए हम
सरगोशी थी फूलों के बीच
किस पहर में आए हम
शराब हमको डूबा गयी ये
सराब था ख़बर में आए हम
मज़ीद मुख़्तलिफ़ थे हम ‘सुब्रत’
सो सब की नज़र में आए हम.....
~अनुज सुब्रत
शब्दार्थ :-
दहर :- संसार , दुनिया
ज़द-ए-लहर :- लहर के निशाने
सरगोशी :- कानाफूसी
पहर :- समय
सराब :- भ्रम
मज़ीद :- बहुत
मुख़्तलिफ़ :- भिन्न , अलग
जब तेरे शहर में आए हम.....Written by Anuj Subrat ( Author of "Teri gali mein" )
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