दर्द सीने में है कितना तुमको दिखाए कैसे
तुम से जो कुछ है हम तुमको बताए कैसे
अश्क मेरे इन आँखों में उतर आए है
गिराए तो गिराए कैसे छुपाए तो छुपाए कैसे
तेरी तस्वीर आज फिर मेरे हाथों में है
बिन तेरी इजाज़त के सीने से लगाए कैसे
उसको पता नहीं है मगर हम उलझे से है
वह मुझको अपनाए कैसे हम भुलाए कैसे
उसकी यादों ने हमको बहुत रुलाया है ‘सुब्रत’
ख़्याल ये है कि वह रोये तो हम हँसाए कैसे....
~©अनुज सुब्रत
दर्द सीने में है कितना तुमको दिखाए कैसे....Written by Anuj Subrat ( Author of "Teri gali mein" )
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