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दो पल के फ़साने 'सुब्रत' दिल को लुभा रहे है...

इक आह सी उठती है सीने में जब धड़कता है मेरा दिल लोग कहते मोहब्बत-सा है कुछ क्या हम झट से तौबा कर लेते है मगर है हमको भी मालूम कहीं और चंद्रमा उस अनुराग को चौदहवीं की रात में जगा रहा है फूल बूटे झूम रहे है... चाँदनी शबनम से टकरा रही है....पायल की रागिनी दिल को लुभा रही है तौबा करने को जो हाथ कान पे गए थे वो दिल पे आ गए है शायद इसी तरह से हम बर्बादी के रास्ते मंज़िल को जा रहे है दो पल के फ़साने ‘सुब्रत’ दिल को लुभा रहे है..... ~©अनुज सुब्रत

हम है कि तन्हाइयों से दिल लगा रहे है....

  वो है कि हमें देख के शर्मा रहे है हम है कि तन्हाइयों से दिल लगा रहे है   उसकी हर इक बात का भरम रख हम जैसे फिर से धोखा खा रहे है   उसके संदली बदन का क्या कहना ख़्वाह - मख़ाह वो चाँदनी में नहा रहे है   उसके तबस्सुम से है रिज़्क़ मेरा वो उदासियों को घर बना रहे है   हम जैसे आशिक़ उसके ‘सुब्रत’ उसकी यादों में मरे जा रहे है..... ~©अनुज सुब्रत

सियाह-रातों का सवेरा क्यों नहीं होता....

सियाह - रातों का सवेरा क्यों नहीं होता मेरा दिल अब मेरा क्यों नहीं होता   नशेमन को मेरे किसने उजाड़ दिया अब कहीं भी मेरा बसेरा क्यों नहीं होता   ज़िंदगी की तमन्ना कब थी याद नहीं ज़िंदगी अब तेरा भरोसा क्यों नहीं होता   मेरी उड़ान को क़फ़स देने वाले सुन ले तेरे साथ भी मेरे जैसा क्यों नहीं होता   आते जाते है लोग मेरे नसीब में ‘सुब्रत’ पर कोई भी शख़्स तुम - सा क्यों नहीं होता..... ~©अनुज सुब्रत

ख़्वाबों की दुनिया ख़्वाबों के वास्ते......

  ख़्वाबों की दुनिया ख़्वाबों के वास्ते मुझे ज़िंदा रहने दो किताबों के वास्ते   मत उजाड़ो इन बाग़ों को बाग़बान इनको भी रहने दो गुलाबों के वास्ते   जिनके दीन - धर्म में मांस हराम है उनको सफ़ में देखा है कबाबों के वास्ते   शफ़क़ चेहरा दिलकश आँखें उसकी कोई दर पे खड़ा है जबाबों के वास्ते   हम अच्छे है तो एक कोने में है ‘सुब्रत’ दुनिया जी रही है ख़ाना - ख़राबों के वास्ते...... ~©अनुज सुब्रत

रोज़-ए-निकाह मियाँ जाँ मेरी दुल्हन किसकी बनी....

रोज़ - ए - निकाह मियाँ जाँ मेरी दुल्हन किसकी बनी तमाशा कुछ नहीं हुआ तमाशा मेरी ज़िंदगी बनी   वह तड़प रही थी मेरे उन तमाम यादों के कैद में उसकी जुदाई मियाँ मेरे लिए क्या कोई ख़ुशी बनी   फिर कोई ज़ुलेख़ा को फिर कोई युसूफ़ न मिला जाँ से आह निकलती है फिर यह कहानी अधूरी बनी   उसकी हँसी उसकी माशूक़ाना अदा उसका बाँकपन चाँद की रोशनी उसके रुख़ पे पड़ी तो चाँदनी बनी   मुझे फ़क़त मुसलमान मत कहो मियाँ मैंने पढ़ा है गंगा जब जह्नु के कान से निकली तो जाह्नवी बनी   मियाँ जी बताते है ‘सुब्रत’ ख़ुश थी वह वलीमे में समझाए तुमको ऐ दिल वो न मेरी थी न मेरी बनी...... ~©अनुज सुब्रत रोज़-ए-निकाह मियाँ जाँ मेरी दुल्हन किसी बनी....Written by Anuj Subrat ( Author of "Teri gali mein" ) Follow me on Instagram https://instagram.com/anuj_subrat Read my Book Teri gali mein Teri gali me / तेरी गली में: कविता संग्रह https://www.amazon.in/dp/1647834457/ref=cm_sw_r_wa_apa_i_RSLuFbTF0C9XQ Thank you

दर्द सीने में है कितना तुमको दिखाए कैसे....

  दर्द सीने में है कितना तुमको दिखाए कैसे तुम से जो कुछ है हम तुमको बताए कैसे   अश्क मेरे इन आँखों में उतर आए है गिराए तो गिराए कैसे छुपाए तो छुपाए कैसे   तेरी तस्वीर आज फिर मेरे हाथों में है बिन तेरी इजाज़त के सीने से लगाए कैसे   उसको पता नहीं है मगर हम उलझे से है वह मुझको अपनाए कैसे हम भुलाए कैसे    उसकी यादों ने हमको बहुत रुलाया है ‘सुब्रत’  ख़्याल ये है कि वह रोये तो हम हँसाए कैसे.... ~©अनुज सुब्रत दर्द सीने में है कितना तुमको दिखाए कैसे....Written by Anuj Subrat ( Author of "Teri gali mein" ) Follow me on Instagram https://instagram.com/anuj_subrat Read my Book Teri gali mein Teri gali me / तेरी गली में: कविता संग्रह https://www.amazon.in/dp/1647834457/ref=cm_sw_r_wa_apa_i_RSLuFbTF0C9XQ Thank you

दुल्हन तेरी बिछड़न बता किसको सताती है....

  दुल्हन तेरी बिछड़न बता किसको सताती है इक प्रेमी इक बाबुल दोनों को तू याद आती है   हम से तू ग़र सच पूछेगी तो हम बतलाएंगे तेरी यादें उसको तेरे घर तक खींच लाती है   इक आवारा सा कोई फिरता है गलियों में तेरी यादों की फ़ज़ा तेरे प्रेमी को रुलाती है   तू तो चली गई मगर हमको सच बतला क्या तेरी आँखें तर होती है तू पछताती है   दुल्हन तेरी बिछड़न बता किसको सताती है इक प्रेमी इक बाबुल दोनों को तू याद आती है...... ~©अनुज सुब्रत दुल्हन तेरी बिछड़न बता किसको सताती है....Written by Anuj Subrat ( Author of "Teri gali mein" ) Follow me on Instagram https://instagram.com/anuj_subrat Read my Book Teri gali mein Teri gali me / तेरी गली में: कविता संग्रह https://www.amazon.in/dp/1647834457/ref=cm_sw_r_wa_apa_i_RSLuFbTF0C9XQ Thank you