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रे से तेरा नाम लिखूँगा....

  रे से तेरा नाम लिखूँगा नून से उसको सजाऊँगा   ऐन से इश्क़ लिखूँगा दाल से दीवाना कहलाऊँगा   सीन से सड़क पे आऊँगा गाफ़ से गली में जाऊँगा   ते से तुझको पुकारूँगा चे से चुप हो जाऊँगा   ख़े से ख़्वाब में आऊँगा पे से पाजेब पहनाऊँगा   लाम से तुझको पूरा करूँगा मैं ‘सुब्रत’ शायर हो जाऊँगा..... ~©अनुज सुब्रत रे से तेरा नाम लिखूँगा.....Written by Anuj Subrat ( Author of "Teri gali mein" ) Follow me on Instagram https://instagram.com/anuj_subrat Read my Book Teri gali mein Teri gali me / तेरी गली में: कविता संग्रह https://www.amazon.in/dp/1647834457/ref=cm_sw_r_wa_apa_i_RSLuFbTF0C9XQ Thank you

जब तेरे शहर में आए हम....

  जब तेरे शहर में आए हम जब तेरे शहर में आए हम इश्क़ के दहर में आए हम   मौसम यहाँ का ख़राब न था कैसे ज़द - ए - लहर में आए हम   सरगोशी थी फूलों के बीच किस पहर में आए हम   शराब हमको डूबा गयी ये सराब था ख़बर में आए हम   मज़ीद मुख़्तलिफ़ थे हम ‘सुब्रत’ सो सब की नज़र में आए हम..... ~अनुज सुब्रत शब्दार्थ :- दहर :-  संसार , दुनिया ज़द-ए-लहर :-  लहर के निशाने सरगोशी :- कानाफूसी पहर :- समय सराब :-  भ्रम मज़ीद :- बहुत मुख़्तलिफ़ :- भिन्न , अलग जब तेरे शहर में आए हम.....Written by Anuj Subrat ( Author of "Teri gali mein" ) Follow me on Instagram https://instagram.com/anuj_subrat Read my Book Teri gali mein Teri gali me / तेरी गली में: कविता संग्रह https://www.amazon.in/dp/1647834457/ref=cm_sw_r_wa_apa_i_RSLuFbTF0C9XQ Thank you

किसी की खिड़की खुली थी कोई बाम पे था....

  किसी की खिड़की खुली थी कोई बाम पे था आज फिर मोहब्बत किसी अंजाम पे था   इश्क़ गुनाह था तो हम दोनों ने किया था मगर वो सारा इल्जाम मेरे नाम पे था    ज़ालिमों ने हम दोनों को अलहदा कर दिया बात बस उनके कौम के एहतराम पे था    एक मुद्दत बाद क्या मैं उसको याद रहूँगा बिछड़ते वक़्त यही बात हर गाम पे था   लड़के वालो ने शादी से इनकार कर दिया सवाल ‘सुब्रत’ लड़की वालो के एहतमाम पे था.... ~ अनुज सुब्रत शब्दार्थ:- बाम :- छत अलहदा :- जुदा, अलग  कौम :- जाती एहतराम :- इज़्ज़त मुद्दत :-  लंबा समय , समय गाम :- कदम एहतमाम :- व्यवस्था, प्रबंध किसी की खिड़की खुली थी कोई बाम पे था.....Written by Anuj Subrat ( Author of "Teri gali mein" ) Follow me on Instagram https://instagram.com/anuj_subrat Read my Book Teri gali mein Teri gali me / तेरी गली में: कविता संग्रह https://www.amazon.in/dp/1647834457/ref=cm_sw_r_wa_apa_i_RSLuFbTF0C9XQ Thank you

हाथ की लकीरों से भला क्या होता है.....

  हाथ की लकीरों से भला क्या होता है हर इक दिल में कोई खुदा होता है   जो शख़्स हर इक बात पर हँसता है वही शख़्स अंदर से बहुत तन्हा होता है   जहाँ कोई दश्त कोई झीलें होती है समझो तो जानो वहीं कोई सहरा होता है   ख़्वाबों में ले आओ कोई जुगनू ‘सुब्रत ’ सुना है जुगनुओं से ही तो उजाला होता है..... हाथ की लकीरों से भला क्या होता है......Written by Anuj Subrat ( Author of "Teri gali mein" ) Follow me on Instagram https://instagram.com/anuj_subrat Read my Book Teri gali mein Teri gali me / तेरी गली में: कविता संग्रह https://www.amazon.in/dp/1647834457/ref=cm_sw_r_wa_apa_i_RSLuFbTF0C9XQ Thank you Hope you'll loved it

समझना ज़ीस्त को दुश्वार है 'सुब्रत'....

  समझना ज़ीस्त को दुश्वार है ‘सुब्रत’ अना इतनी कि समझदार है ‘सुब्रत’   क्या गिला क्या शिकवा ज़माने से बस दफन को बेकरार है ‘सुब्रत’   दर्द के लिबास में रूह है मेरी पलकों पे दर्द का आबशार है ‘सुब्रत’   इतना मत सताओ की मर जाए हम हाँ चश्म - ए - जानाँ से ख़्वार है ‘सुब्रत’.... ~अनुज सुब्रत शब्दार्थ :- ज़ीस्त :- ज़िंदगी दुश्वार :- मुश्किल अना :-  अहंकार ,  ego गिला, शिक़वा :- शिकायत आबशार :-  झरना , waterfall चश्म-ए-जानाँ :- The eyes of beloved ख़्वार :- तबाह  समझना ज़ीस्त को दुश्वार है 'सुब्रत'......Written by Anuj Subrat ( Author of "Teri gali mein" ) Follow me on Instagram https://instagram.com/anuj_subrat Read my Book Teri gali mein Teri gali me / तेरी गली में: कविता संग्रह https://www.amazon.in/dp/1647834457/ref=cm_sw_r_wa_apa_i_RSLuFbTF0C9XQ Thank you Hope you'll loved it

फिर दुनिया मोहब्बत का एक फ़साना देखेगी....

  फिर दुनिया मोहब्बत का एक फ़साना देखेगी एक ख़ातून चिलमन से कोई दीवाना देखेगी   गया है महबूब के कूचे में एक दिलबर फिर दुनिया कोई जोगी मस्ताना देखेगी   घुँघरू दम तोड़ देंगे लहू से सर - ब - सर होंगे वफ़ा फिर से एक ज़ालिम ज़माना देखेगी   मोहब्बत जान लेगी दिलों को थाम लेगी आशिक़ की इंतहा फिर एक जानाँ देखेगी   टूटे दिल का अज़ाब खुदा पे नाज़िल होगा ज़ाहिद की नजरें ‘ सुब्रत ’ मयखाना देखेगी..... ~अनुज सुब्रत फिर दुनिया मोहब्बत का एक फ़साना देखेगी......Written by Anuj Subrat ( Author of "Teri gali mein" ) Follow me on Instagram https://instagram.com/anuj_subrat Read my Book Teri gali mein Teri gali me / तेरी गली में: कविता संग्रह https://www.amazon.in/dp/1647834457/ref=cm_sw_r_wa_apa_i_RSLuFbTF0C9XQ Thank you Hope you'll loved it

तेरे इश्क़ में हम क्या हो गए......

  तेरे इश्क़ में हम क्या हो गए कुछ हो न सके तो फ़ना हो गए   बेखुदी का तुम मत पूछो सबब बेसबब ही तो तुम अलहदा हो गए   बेकरारी मेरा करार ले गई राख हो कर हम धुआँ हो गए   मेरे तरकश के तीर हो गए खत्म ज़ख्म सब मेरे रहनुमा हो गए   दर्द-ओ-सितम से रहा वास्ता मेरे जुर्म जुर्म-ए-वफ़ा हो गए   नवा-ए-दिल घुट रही थी ‘सुब्रत’ ज़िंदगी तुझसे हम क्या हो गए…. ~अनुज सुब्रत शब्दार्थ:- फ़ना :- बर्बाद बेसबब :- बिना कोई कारण  बेकरारी :- बेचैनी करार :- चैन अलहदा :- जुदा नवा :- आवाज़ तरकश :- तीर रखने का चोंगा सितम :- कहर रहनुमा :- राह दिखाने वाला तेरे इश्क़ में हम क्या हो गए......Written by Anuj Subrat ( Author of "Teri gali mein" ) Follow me on Instagram https://instagram.com/anuj_subrat Read my Book Teri gali mein Teri gali me / तेरी गली में: कविता संग्रह https://www.amazon.in/dp/1647834457/ref=cm_sw_r_wa_apa_i_RSLuFbTF0C9XQ Thank you Hope you'll loved it